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चाची Xxx स्टोरी में पढ़ें कि दो बार सेक्स भरी मस्ती के बाद मैंने पड़ोसन चाची को उनके ही घर में पूरी नंगी करके पहली बार कैसे चोदा.
दोस्तो, मैं भास्कर एक बार फिर से आपके सामने अपनी पड़ोसन हेमा चाची की चुदाई की कहानी का अगला भाग लेकर हाजिर हूँ.
चाची Xxx स्टोरी के पिछले भाग
पड़ोसन चाची के साथ मस्ती भरी रंगरेलियाँ
में अब तक आपने पढ़ा था कि चाची और मैं एक दूसरे से वासना भरा प्यार करने लगे थे और चुदाई होने से पहले ही हम दोनों स्खलित हो गए थे. मेरा लंड पजामे से बाहर निकला पड़ा था.
अब आगे की चाची Xxx स्टोरी:
हेमा चाची बार बार मेरे खुले लंड को ताके जा रही थीं. लेकिन अब हेमा चाची को भी चाचा के आने का डर सताने लगा था तो हेमा चाची बाथरूम में चली गईं और थोड़ी देर बाद वापस आ गईं.
चाची के बाथरूम से आते ही मैं बाथरूम में चला गया.
जैसे ही मैं बाथरूम में घुसा, तो मैंने देखा कि बाथरूम में खूंटी पर हेमा चाची की गुलाबी रंग की चड्डी टंगी थी.
शायद ये हेमा चाची की वही चड्डी थी, जो अभी अभी हेमा चाची उतार कर टांग गई थीं.
मैंने जल्दी से बाथरूम को अन्दर से बंद कर लिया और हेमा चाची की उस चड्डी को लेकर सूंघने लगा. फिर मैंने उस चड्डी को अपने पजामे की जेब में छिपा लिया और मुँह हाथ धोकर कमरे में हेमा चाची के पास चला गया.
वहां कमरे में हेमा चाची मेरा इंतजार कर रही थीं.
मेरे वहां पहुंचते ही हेमा चाची बिस्तर से खड़ी होकर मेरे पास आईं और मेरे गले लग गईं.
चाची बोलीं- भास्कर, आज तो तुम्हारे साथ उस दिन छत से भी ज्यादा मजा आया.
हेमा चाची का हाथ मेरे लंड के पास था. मैं डरा हुआ था कि कहीं हेमा चाची का हाथ मेरे पजामे की जेब पर ना चला जाए, जहां मैंने हेमा चाची की चड्डी छिपा रखी थी.
फिर मैंने हेमा चाची का हाथ पकड़कर मेरे लंड के पास से उठाकर अपनी छाती पर रख दिया और मैंने अपने दोनों हाथों को हेमा चाची की गांड पर दबा कर उनके चूतड़ों को मसल दिया.
हेमा चाची की गांड पर हाथ मलते समय मैंने महसूस किया कि हेमा चाची अन्दर से बिल्कुल नंगी थीं, उन्होंने नाईटी के अन्दर कोई चड्डी नहीं पहनी हुई थी.
मैं पूरी तरह से समझ गया कि हेमा चाची ने ये गुलाबी रंग की चड्डी अभी अभी ही उतारी थी, जिसे मैंने बाथरूम से लेकर अपने पजामे की जेब में छिपा रखा था.
थोड़ी ही देर मैं मोहल्ले में सब लोगों के शादी से लौट आने की हलचल सुनाई दी और हम दोनों जल्दी से सतर्क हो गए.
हेमा चाची ने जल्दी से अपने घर के मैंने दरवाजे की कुंडी खोल दी. जैसे ही चाचा अन्दर आने के लिए घुसे तो मैं जल्दी से टीवी के पास जाकर तारों को ठीक करने लगा.
चाचा कमरे में आए और उन्होंने मुझे देखकर कहा- अरे भास्कर कैसा है … तू शादी में क्यों नहीं आया?
मैंने कहा- चाचा वो मेरे कॉलेज में टेस्ट परीक्षाएं आने वाली हैं, तो उसी की तैयारी में लगा था. फिर आपका टीवी खराब था, तो हेमा चाची ने मुझे ठीक करने बुला लिया.
फिर टीवी ठीक करके मैं वहां से जाने लगा, तो चाचा बोले- अरे बैठ जा … बाद में चले जाना.
मैंने कहा- नहीं चाचा, वो मुझे पढ़ाई करनी है … और घर पर सब आने वाले होंगे, मैं घर खुला छोड़ कर आ गया था.
ऐसा कहकर मैं जल्दी से अपने घर चला गया.
मेरे घर वाले भी शादी से लौट आए थे. मैं जल्दी से अपने कमरे में चला गया और दरवाजा अन्दर से बंद करके अपनी जेब से हेमा चाची की चड्डी निकालकर उसे सूंघने लगा.
मुझे चाची की चुत के निकले मादक मदन रस की मस्त महक पागल करने लगी थी.
पूरी रात भर सोते समय मैं चाची की चड्डी को अपने जिस्म पर मलता रहा और अपने लंड पर लपेटकर सो गया.
दोस्तो, ये मई का महीना था. इसलिए मुझे पूरा नंगा लेट कर चाची की चड्डी को अपने बदन में रगड़ने से एक अजीब सी मस्ती छा रही थी.
मेरा लंड खड़ा था गर्मी से पसीना मेरे बदन से चुआ जा रहा था … मगर मुझे बस चाची का महकता बदन उनकी चूचियों की रगड़न और चूमने से मेरे मुँह के अन्दर गई उनकी लार ही मदहोश करे जा रही थी.
उस रात दो बार मुठ मार कर चाची की चड्डी में ही अपना रस छोड़ा और सो गया.
अब मेरा और चाची का नैन मटक्का चलने लगा था.
जब तब मौका मिलते ही मैं चाची से चिपक जाता था और उन्हें चूम लेता था.
फिर एक बार शाम को हम सब मोहल्ले वाले बैठ कर बातें कर रहे थे. हमारे मोहल्ले में हर शाम इसी तरह बड़े छोटे साथ बैठते थे.
तभी हेमा चाची के पति यानि पड़ोस के चाचा आ गए.
उन्होंने मुझे एक तरफ बुलाया और बोले- मैं 2 दिन के लिए काम से बाहर जा रहा हूँ. तेरी हेमा चाची घर पर अकेली रह जाएंगी.
वहां पास ही मेरे पापा बैठे थे, उन्होंने सुन लिया. वे बोले- तो क्या हुआ … मोहल्ला तो भरा हुआ है और भला घर में अकेले रहने में कैसा डर?
चाचा बोले- अरे घर बहुत बड़ा है और हेमा को अकेले घर में डर लगता है … इसीलिए कोई रात को हेमा के पास रुक जाएगा, तो अच्छा रहेगा.
पापा ने बोला- ठीक है हेमा के पास ये चला जाया करेगा.
तभी चाचा बोले- मैं इसी लिए तो भास्कर को बोल रहा हूँ … वो चला जाएगा.
उधर मेरे पापा ने भी मेरी ओर से हामी भर दी.
यह सुनकर मेरी तो जैसे लॉटरी निकल गई थी. मैं मन ही मन बहुत खुश था.
उस वक्त मैं 20 साल का हो गया था और मोहल्ले में सबसे कम उम्र के लड़कों में मैं ही था … बाकी सब कुछ ज्यादा ही छोटे थे.
अब मुझे बेसब्री से कल रात का इंतजार था.
मैं शाम को बाजार से रेजर ले आया और सुबह नहाते वक्त मैंने अपने लंड के बालों को बिल्कुल साफ कर लिया.
मेरा पूरा दिन रात के इंतजार में ही गुजरा.
रात के करीब 8:30 बजे होंगे … मैं उस समय बाहर बैठा था. तभी हेमा चाची ने मुझे आवाज लगाई और बोलीं- भास्कर 9 बजे घर पर आ जाना.
मैंने हां बोल दिया लेकिन घर वालों के कहे बिना मैं खुद से हेमा चाची के घर कैसे जा सकता था.
9 बज चुके थे, मैं इसी इंतजार में था कि घर के किसी सदस्य को याद आ जाए कि आज की रात मुझे हेमा चाची के यहां रुकना है.
फिर अचानक से मेरी दादी को याद आया और उन्होंने मुझे रात में रुकने के लिए

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